शिव को अर्द्धनारीश्वर क्यों कहा जाता है?

शिव को अर्द्धनारीश्वर कहे जाने का अर्थ यह नहीं है कि शिव आधे पुरुष ही हैं या उनमें संपूर्णता नहीं। शिव आधे होते हुए भी पूरे हैं। इस सृष्टि के आधार और रचयिता यानी स्त्री-पुरुष शिव और शक्ति के ही स्वरूप हैं। इनके मिलन और सृजन से यह संसार संचालित और संतुलित है। दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। नारी प्रकृति है और नर पुरुष। यह बताता है कि शिव जब शक्ति युक्त होता है तभी समर्थ होता है। शक्ति के अभाव में शिव ‘शिव’ न होकर ‘शव’ रह जाता है।

 

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